Adani Case: अडानी-हिंडनबर्ग मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर-2023 में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, अब सूत्रों से जानने को मिल रहा है कि 3 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अपना फैसला सुनाएगा।
क्या है Adani Case में पूरा मामला
जनवरी में हिंडनबर्ग की रिपोर्ट और अदाणी ग्रुप के जवाब के बाद सुप्रीम कोर्ट में 4 जनहित याचिकाएं दाखिल की गई थीं। इन PILs में अदाणी ग्रुप के खिलाफ कई तरह की जांच के आदेश देने की अपील की गई थी।
इन याचिकाओं को सुनने के बाद ही 2 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने SEBI को यह आदेश दिया था कि वो अदाणी ग्रुप के डिस्क्लोजर और शेयरों के भाव में हेरफेर की पूरी तरह से जांच करे।कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा था कि SEBI ये जांच करे कि अदाणी ग्रुप ने मौजूदा नियमों का उल्लंघन किया है कि नहीं ?
सुप्रीम कोर्ट ने SEBI को रिपोर्ट सौंपने के लिए दो महीने का वक्त दिया था।अप्रैल में SEBI ने कोर्ट से अपनी जांच पूरी करने में 6 महीने का वक्त मांगा था, लेकिन कोर्ट ने उसे सिर्फ 14 अगस्त तक का ही वक्त दिया था। SEBI ने 14 अगस्त को फिर से अपनी जांच पूरी करने के लिए 15 दिन का वक्त मांगा था।
SEBI ने 25 अगस्त को सौंपी रिपोर्ट में बताया कि उसने 24 में से 22 मामलों की जांच पूरी कर ली है, 2 मामलों में जांच विदेशी संस्थाओं से हो रही देरी के चलते पूरी नहीं हो पाई है।
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अडानी को मिली थी क्लीनचिट
सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए एक कमिटी बनाने का आदेश दिया था। इस कमिटी को अदाणी मामले में SEBI के कामकाज में खामियों पर रिपोर्ट देनी थी। रिटायर्ड जस्टिस अभय मनोहर सप्रे के नेतृत्व में एक कमिटी बनाई गई। इसमें SBI के पूर्व MD ओपी भट्ट, केवी कामथ, नंदन नीलेकणी, सोमशेखर सुंदरेसन और रिटायर्ड जस्टिस जेपी देवधर भी शामिल थे।
इस कमिटी ने भी मई में अपनी रिपोर्ट कोर्ट को दे दी थी। इस कमिटी ने SEBI और अदाणी ग्रुप को क्लीनचिट दे दी थी।
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